मानस सम्मेलन के चतुर्थ दिवस पर परम पूज्य संत कदमगिरि पीठाधीश्वर जगद्गुरु रामस्वरूपाचार्य जी महाराज व्यास पीठ पर पधारे, तत्पश्चात मंत्रों उपचार के साथ समिति सदस्यों एवं जनप्रतिनिधियों ने पादुका पूजा सम्पन्न किया गया।
ज्ञान गंगा : मानस सम्मेलन के चतुर्थ दिवस पर पूज्य संत द्वारा अपने श्रीमुख से उपस्थित श्रोताओं को राम कथा के प्रसंगों का विवरण बताते हुए कहा कि कैकेई अम्बा ने धर्म रक्षा के लिए धर्म की स्थापना की लिए भगवान श्री राम को वन मै भेजा था, आगे महाराज साहब ने राम के बनवास को विस्तार से एक एक पहलू को समझाया किस प्रकार माता कैकेई ने यह निर्णय लिया, किस प्रकार राजा दशरथ को यह दुख भोगना पड़ा। राजा दशरथ के बारे में संत श्री ने बताया कि कर्म प्रधान है, जैसा कर्म करोगे वैसा फल भोगना पड़ता है, राजा दशरथ के हाथ से धोखे में श्रवण कुमार को तीर लग गया और श्रवण कुमार की मौत हो गई, लेकिन उस धोखे से एक मौत नहीं बल्कि श्रावण कुमार के माता पिता भी उसके ग़म मै राजा दशरथ को श्राफ देकर मृत्यु को प्राप्त हुए। वही श्राफ राजा दशरथ भी आज भोगे ओर उनकी भी मृत्यु अपने बच्चों के गम में हो गई।
इस प्रकार गुरु देव ने भगवान राम गमन का पूरा वृतांत आज श्रोताओं का मंत्र मुग्ध भजनों के साथ श्रवण कराया।
सम्मेलन के चतुर्थ दिवस आज बड़ी संख्या मैं नगर एवं ग्रामीणजन से अनेक नर नारी पधारे। सभी ने सत्संग को भरपूर आनंद लिया।
सम्मेलन समिति के अध्यक्ष नारायण भूरू मुकाती ने बताया कि कल सम्मेलन का विश्राम दिवस है।